सोमवार, 17 दिसंबर 2012

भविष्य के स्मार्ट फ़ोन!

कयासों का बाज़ार गर्म है के 2013 के अंत तक स्मार्ट फोंस अंतरजाल से जुड़ने का सबसे सरल माध्यम हो जाएगा। अब इस रिपोर्ट की माने या एक दूसरे रिपोर्ट  की जो दावा करता है के भविष्य में मनुष्य को तीन चीज़े पशुओं से अलग रखने में कारगर सिद्ध होंगी- पहला स्मार्ट फ़ोन जिसका हम आलरेडी गुणगान कर रहे हैं , दूसरा होगा टेबलेट PC और तीसरा TV. चौंकिए मत!

 TV 2013में  ऐसी फाडू तकनीकों के साथ बाज़ार में आने जा रही के आँखे खुली रह जायेंगी। इसकी चर्चा हम अलग से करेंगे। टेबलेट की बीमारी का हम सबको पता है अभी इसकी चर्चा न करें वही अच्छा है। मुझे महत्वपूर्ण खोज यह भी लगता है के इंसानों का भगवान में विश्वास 2013 में भी यथावत बना रहेगा क्यूंकि गूगल बाबा ने अभी भी भावनाओं को सर्च करना सीखा नहीं है।

खैरे 'होइहें वही जो राम रची रखा' हम आम जनता हैं और हमारा हर नयी खबर के साथ अपने ब्लड प्रेशर पे ज्यादती करना उचित नहीं है। 121 करोड़ की आबादी वाला अपना उर्वर देश अभी भी रोटी-पानी को ही प्राथमिकता देने के मूड में है। इतनी आफरा-तफरी, इतने हो-हल्ले के बाद भी सिर्फ दस फीसदी जनसंख्या ही अंतरजाल का हिस्सा बन पायी है। हमें आज भी वर्चुअल से फिजिकल हो जाना ज्यादा इजी लगता है। काश!  श्री कपिल सिब्बल का आकाश टेबलेट के साथ प्रेस विज्ञप्ति में मुस्कुरा भर देने से ही हम ब्रॉडबैंड हाई वे पर सवार हो गए होते। 'दिल है के मानता नहीं' की मजबूरी में हमारे कई  सूचना और प्रसारण मंत्रियों ने पूरे डिपार्टमेंट को ऐसी वाट लगाईं है के आज भी पूरा मंत्रालय घिघिआने को विवश है, आधारभूत संरचनाओं की बात करने पर ही ये खफा हो जाते हैं। ब्रॉडबैंड इयर का सपना सरकार ने 2006 में देखा था जो अभी भी सपना ही है।

खुश होंने वाली बात यह है की मोबाइल तकनीक इन सभी परेशानियों के बावजूद प्रगति पथ पर अग्रसर है। भारतीय टेलीकम्यूनिकेशन ने न सिर्फ भारत को बल्कि पूरी दुनिया को एक नयी राह दिखाई है। देश में अंतरजाल का विकास बहुत हद तक स्मार्ट फ़ोन के विकास के साथ जुडा है।

इससे पहले के आप मेरी जान लेने की सोचें मुझे मुद्दे की बात शुरू कर देनी चाहिए।

व्यावहारिक एवं व्यापारिक रूप से सिर्फ दो दसक पहले लोगों के सामने आई स्मार्ट फोंस की तकनीक इतनी जल्दी नए कीर्तिमान स्थापित करेगी इसका अनुमान शायद ही किसी को था। एंडी रुबिन, सह संस्थापक, एंड्राइड इनकॉर्पोरेट ने हालाँकि 2003 में ही यह भविष्यवाणी की थी के स्मार्ट फ़ोन जल्दी ही अपने यूजर के लोकेशन और उसके प्रेफेरेंसेस का पता लगाने में सक्षम होगा। यह बात आज भले ही अटपटा लगे लेकिन सच्चाई यही है के फीचर फोंस के एक 'क्लोज्ड दाएरे की तकनीक' के ज़माने में यह चौंकाने वाला खुलासा था।

सरल भाषा में अगर स्मार्ट फ़ोन को परिभाषित करें तो इसका मतलब एक ऐसे संयंत्र से है जिसमे एक आम फ़ोन से बेहतर कार्यकुशलता, अंतरजाल से जुड़ने की खासियत, मल्टीमीडिया एंटरटेनमेंट जैसे गेम्स, विडियो, मूवीज इत्यादि की सुविधा सहज ही उपलब्ध कराती हो।

जो कमोबेस पॉकेट में रखने योग्य एक मिनी कंप्यूटर होता है। आज का समुन्नत स्मार्ट फ़ोन उपरोक्त खूबियों के अलावा आपको एक भरोसे मंद कैमरा, रेडियो, wi -fi, 3G  कनेक्टिविटी भी मुहैया कराता है।

आप सोच रहे होंगे जब सारी खूबियाँ उपलब्ध हैं ही तो और बच क्या जाता है इजाद करने के लिए। लेकिन इंसान की एक अच्छी फितरत होती है के वो हमेशा कुछ बेहतर करे। चलिए देखें क्या बेहतर करने के दावे पेश किये जा रहे हैं:

1. मान लीजिये आप कहीं जा रहे हैं, रास्ते में ही आपको कोई ऐसी चीज़ दिखती है जो आपको पसंद तो आती है लेकिन इसके बारे में आपको ज्यादा मालूम नहीं। यह एक नयी चिडिया भी हो सकती है जिसे शायद आप पहली बार देख रहे हों और उसके पंख आपको बेहद खूबसूरत लगे हों।

बस आपने अपना स्मार्ट फ़ोन जेब से निकाला कैमरा औन किया और चिडिया की तरफ रुख कर दिया। स्मार्ट फ़ोन ने आपकी जरूरत समझ ली और उस चिड़िया के बारे में जितनी भी इनफार्मेशन आपको चाहिए थी  आ गया स्क्रीन पर। इस तकनीक का नाम है ऑगमेंटेड रियलिटी (AR). इसके द्वारा आप किसी भी चीज़ की जानकारी लाइव पा सकते हैं।


2. हमें पता है की स्मार्ट फ़ोन को पॉकेट फ्रेंडली होना अत्यंत आवश्यक है। आपने कभी सोचा था  इस 'देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर' संयंत्र का उपयोग फिल्मे देखने और गेम्स के लिया हो सकेगा, आज हो रहा है।
रोचक बात यह है के हम स्मार्ट फ़ोन को पॉकेट में रखना तो चाहते हैं लेकिन स्क्रीन साइज़ सीमित होने की वजह से फिल्मे देखने या गेम खेलने का वो मज़ा नहीं उठा पाते। फ्लेक्सिबल सक्रीन से इस समस्या का समाधान भी शायद जल्दी ही मिल जाएगा। जी हां! ओलेड तकनीक से सुसज्जित आपने एक कागज जैसे पतले स्क्रीन को  जेब से निकाला खोला इस्तेमाल किया और फिर मोड़कर रख लिया।तब न तो बड़े स्क्रीन को झोले में ढोने की किचकिच होगी और न ही गिरने टूटने का भय।  इतना इजी हो जाएगा सबकुछ।

3. बात यहीं ख़तम नहीं हो जाती। अगर फ्लेक्सिबल सक्रीन भी आपको छोटा लगे तो उसका भी जवाब तकनीक विशेषज्ञों ने ढूंढ लिया है।DLP (डिजिटल लाइट प्रोजेक्शन) लेकर आया है कुछ ऐसी ही संभावनाएं।

आप इस इन बिल्ट प्रोजेक्टर से 50 इंच के स्क्रीन पर आप फिल्मे, तस्वीरें गेम्स इत्यादि का लुत्फ़ उठा सकते हैं। सैमसंग ने हाल में ही एक ऐसा फ़ोन भारतीय बाज़ार में आलरेडी पेश कर दिया है। इसमें और भी तकनीकी विकास की संभावनाएं हैं और इसपे बहुत काम होना बाकी है।  इसमें आज की तरह फ़ोन के अलावा शारीरिक हाव भाव और संकेत की भाषा भी इस्तेमाल की जायेगी।



4. काफी अरसे से इस बात पे बहस होती रही है के वौइस् कमांड को कैसे प्रभावी बनाया जाए। गूगल की पहल इस सम्बन्ध में सराहनीय रही है लेकिन एक व्यावहारिक फ़ोन जिसका इस्तेमाल आसानी से हो सके यह वास्तविकता अब भी कोसों दूर है।

विशेषज्ञ अब इस बात पे धयन दे रहे हैं के कैसे फोंस को इस काबिल बनाया जाये जो हमारी आवाज़ को हमारी तरह ही समझ पाए। भविष्य के स्मार्ट फ़ोन के लिए ध्वनि विश्लेषण करना ज्यादा महत्वपूर्ण होगा आज की भाषा पहचानने की तकनीक से।

5. एप्पल की रेटिना डिस्प्ले के साथ ही स्क्रीन की गुणवत्ता लगभग अपने चरम पर पहुँच चूका है। लेकिन इसका मतलब कतई ये नहीं है के विकास की संभावनाएं नहीं हैं। अभी तक हमने 2D स्क्रीन तक ही अपने को स्मार्ट फोन स्क्रीन को सीमित रखा था।

भविष्य के स्मार्ट फोंस 3D से ही चला करेंगे जिसमे होलोग्राफिक प्रोजेक्शन की सुविधा होगी जिसके द्वारा आप 3D ऑब्जेक्ट्स, फोटोग्राफ्स यहाँ तक की विडियो को भी अपने हिसाब से लाइव मॉडिफाई कर सकते हैं। इस प्रकार 3D स्क्रीन और होलोग्राम भविष्य के स्मार्ट फोंस का एक हिस्सा होंगी।

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