रविवार, 18 मई 2014

बैटरी का भविष्य

तकनीक हमारी ज़िन्दगी का इस कदर हिस्सा बनते जा रहे हैं की पूछिए मत. आँखे खुली नहीं के मोबाइल आँखे दिखाना शुरू कर देता है और फिर रात ढलने तक करते रहिये इसकी खातिरदारी। कभी इसे पूरी सिग्नल नहीं मिल रहां होता  तो कभी यह बैटरी कम चार्ज होने का रोना रो रहा होता है.जब स्मार्ट फ़ोन खरीदने गया था तब मन में हो रहा था के पूरा लोडेड मोबाइल लेंगे जिसमे सब लेटेस्ट तकनीक ठूस ठूस कर भरे होंगे। किया भी यही. और फिर होता यह है के हम तमाम वह उपाय करते है जिससे बैटरी बची रहे, मोबाइल चलता रहे. मुझे लगता है यह मुश्किल आज सभी मोबाइल खरीदने और उपयोग करने वालों की है. आप क्या  कहते हैं. . .? 

स्मार्ट फ़ोन की तकनीक में बेतहाशा विकास हुआ है लेकिन बैटरी पर उतना काम नहीं हुआ. आज भी एक स्मार्ट फ़ोन दो दिन बिना चार्ज किये काम करता रहे यह मुश्किल है. बैटरी को और समुन्नत बनाया जा सके इसपर अनुसंधान होना भी बड़ा महत्वपूर्ण होता जा रहा है. 
via : wirelessduniya.com
अधिकांश चलत डिवाइस में आज लिथियम आयन बैटरी का उपयोग होता है चाहे वह स्मार्ट फ़ोन हों, टैबलेट हों या फिर डिजिटल कैमरा। इस बैटरी की तकनीक ने ही हमें भारी भरकम निकेल बेस्ड बैटरी से निजात दिलाई है. आज ५ बिलियन से भी ज़्यादा लिथियम आयन बैटरीज हर साल दुनिया भर में बिक रहे हैं. सवाल यह है की हमारी जरूरते बढ़ती जा रही है. प्रतिव्यक्ति तकनीक का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है. बैटरी बेस्ड वाहनों का विकास होना है जिन्हे कम से कम ५०० वाट-ऑवर प्रति किलोग्राम की ऊर्जा चाहिए होगी  और आज की लिथिअम आयन बैटरी १५० वाट-ऑवर प्रति किलोग्राम की ऊर्जा ही दे पा रहे हैं. 

जहाँ तक  लिथियम आयन बैटरी के भविष्य का प्रश्न है, लोग इसपर लगे हैं कंपनियां इसपर बहुत सारा पैसा खर्च कर रहीं हैं. ऐसी बैटरीज जल्दी ही आ जाएंगी जो ज्वलनशील नहीं होंगी।  बैटरीज अधिक शक्तिशाली होंगी और बहुत छोटी हो जाएंगी, अनाज के दानों के बराबर। हो सकता है मैग्नीशियम आयन बैटरीज आज के 
लिथियम आयन बैटरीज की जगह ले ले. क्युंकि मैग्नीशियम आसानी से पाया जाने वाला एक सस्ता संसाधन है और यह ज़्यादा ऊर्जा संचयित कर सकता है. हालांकि इसपर अभी बहुत काम होना बाकी है. 

एक बात तो तय है की बैटरी पर हमारी निर्भरता एक लम्बे अर्से तक बनी रहने वाली है और इनको समुन्नत करने के अलावा ज़्यादा विकल्प उपलब्ध नहीं है. 


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