सोमवार, 10 जून 2013

गूगल नेक्सस 4- सैयाँ भये कोतवाल

कुछ ऐसी कंपनियां होती हैं जो बीडी से लेकर बैटल टैंक सब खुद बनाना या बनवाना चाहतीं हैं और ऐसी चाह रखने वालों की कोई कमी नहीं। चाहे अपनी देसी कंपनी रिलायंस हो यह टाटा या फिर विशालकाय विदेशी समूह गूगल या माइक्रोसॉफ्ट। जी हाँ! बिल गेट्स अब माइक्रोसॉफ्ट से उकता कर मलेरिया का निदान ढूंढ रहें हैं। उनका कदम बेशक सराहनीय है लेकिन आपको नहीं लगता की यह एक बदलाव का संकेत है। इस बदलाव का सकारात्मक पहलू यह है की ब्रांड की कार्यकुशलता का फायदा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच रहा है और नकारात्मक पहलू यह की 'छोटे की तो खैर नहीं'।

गूगल को पता है के आने वाला दौर स्मार्ट फोंस का है और इससे कन्नी काटना सच्चाई से मुंह छुपाने जैसा है। एंड्राइड को आपाधापी में खरीदकर कंपनी ने यह साबित कर दिया था के मोबाइल फ़ोन तकनीक अब पहले जैसी नहीं रहेगी। हुआ यह है के एंड्राइड अब अमूमन स्मार्ट फ़ोन का पर्याय बन गया है।

गूगल का स्मार्ट फ़ोन ब्रांड बनकर बाज़ार में उतरना एक और दिलचस्प घटना थी, भारतीय बाज़ार हालाँकि गूगल के इस पहल में उपेक्षा के शिकार रहे, लेकिन उत्सुकता थी के कमने का नाम ही नहीं ले रही थी। इस बीच हुआ यूँ के भारतीय बाज़ार में दुनिया भर के सस्ते-महंगे स्मार्ट फ़ोन ब्रांड्स ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली। किसी को जैसे कोई फरक ही न पड़ा हो। गूगल के 'नेक्सस' नामकरण पर शुरुआती विवाद को भी चुपचाप निपटारा करने बाद यह समझ में आने लगा की नेक्सस लम्बे समय तक स्मार्ट फोंस की तकनीक का प्रतिनिधित्व करता रहेगा।

जनवरी 2010 में गूगल ने एच टी सी के साथ मिलकर नेक्सस 1 को बाज़ार में उतारा जिसके स्क्रीन की गुणवत्ता, वौइस् क्वालिटी, फ़ास्ट प्रोसेसर और उसकी कार्यकुशलता को काफी सराहा गया। एक और रोचक बात यह थी की यह किसी खास मोबाइल ऑपरेटर के साथ लॉक्ड फ़ोन की श्रेणी में नहीं आता था।  गूगल नेक्सस 1 हालाँकि एक बहुत उन्नत मीडिया फ़ोन नहीं था लेकिन एक नयी शुरुआत हो चुकी थी। हाँ! गूगल नेक्सस 1 को भारत में नहीं लांच किया गया।

नेक्सस १ 
दिसम्बर 2010 जब एंड्राइड जिन्जेर ब्रेड 2 .3 रिलीज़ हुआ उसी के साथ गूगल नेक्सस एस को सैमसंग के साथ मिलकर अमेरिकी बाजारों में उतारा गया जिसका स्क्रीन एक बार फिर कमाल का था, कॉल क्वालिटी पहले से और बेहतर थी और एंड्राइड जिन्जेर ब्रेड के फीचर्स यूजर को व्यस्त रखने के लिए पर्याप्त थे। आलोचकों की माने तो यह एक बेहतरीन फ़ोन था जिसे और पॉवर फुल बनाया जा सकता था।

गूगल नेक्सस एस
लगभग एक साल बाद नवम्बर 2011 में एक बार फिर सैमसंग के साथ मिलकर गैलेक्सी नेक्सस को पाश्चात्य बाजारों में पेश किया गया। सुपर अमोलेद स्क्रीन और एंड्राइड के नए ऑपरेटिंग सिस्टम आइसस्क्रीम सैंडविच के साथ यह एक प्रभावशाली फ़ोन साबित हुआ जिसमें अच्छे स्मार्ट फ़ोन सारी खूबियाँ मौजूद थीं। इसकी सबसे बड़ी खामियों से एक था इसकी मेमोरी को बढाया नहीं जा सकना। जहाँ एक तरफ यह एक अन्य नेक्सस डिवाइस था वहीँ  दूसरी तरफ सैमसंग के निजी गैलेक्सी फोंस इन सभी परेशानियों को दूर कर बाजारों में धूम मचा रहे थे।

गैलेक्सी नेक्सस
सैमसंग से गूगल का मोहभंग हो चुका था और अब उसे एक ऐसे मोबाइल निर्माता की तलाश थी जो उसके नेक्सस ब्रांड को नयी उड़ान दे सके। पिछले एक दसक में दक्षिण कोरिया  की  कंपनियों  ने जिस तरह विश्व बाज़ार पर हल्ला बोला है वह देखने लायक है चाहे ऑटोमोबाइल हो या मोबाइल सब जगह उनकी तूती बोल रही है। गूगल को एल जी जो खुद भी मोबाइल बाज़ार में अपना आधार ढूँढ रही थी का साथ मिला और दोनों ने मिलकर नेक्सस 4 का सपना देखा। पहली बार एल जी  नेक्सस 4 को भारतीय बाजारों में भी उतारने की भी बात की गयी। मई 2013 में भारतीय बाजारों तक आधिकारिक रूप से पंहुचने वाला यह पहला फ़ोन था जिसकी प्रतीक्षा न जाने कब से की जा रही थी। यह बताना शायद जरूरी नहीं होगा की यह एक प्रीमियम स्मार्ट फ़ोन है और गूगल ने एल जी के साथ मिलकर इसको बनाने में अपनी सारी ताकत झोंक दी है।
एल जी  नेक्सस 4
एंड्राइड 4 .2 के साथ यह एक पॉकेट फ्रेंडली फ़ोन है और इसकी दो वजहें हैं एक की इसकी प्राइस प्रीमियम स्मार्ट फोंस के श्रेणी में सबसे कम है (रु 25,990 मात्र ) और दूसरा यहकी  इसका कम वजन और छोटा (4 .7 इंच सुपर अमोलेद, गोरिल्ला ग्लास 2 स्क्रीन) आकार इसके रख रखाव को आसान बनाता है। इसकी खामियों की बात करें तो पिछले नेक्सस फोंस की तरह आप इसके एक्सटर्नल मेमोरी को बाधा नहीं सकते और न ही इसके 2100 mAH बैटरी को बदला जा सकता है। 4G LTE की कमी भी इसका एक नकारात्मक पहलू जिसकी उपयोगिता आने वाले दिनों में काफी बढ़ने वाली है। लेकिन ये कमियां डील ब्रेकर नहीं हैं  एल जी नेक्सस 4 स्मार्ट फ़ोन का एक बेहतरीन विकल्प है।