शुक्रवार, 29 मई 2015

टीवी खरीदने से पहले क्या जानें





अभी चार महीने पहले तक हमारे पास २१ इंचेस का रंगीन पारम्परिक बक्से वाला टीवी ही था. टीवी तकनीक की दुनिया आगे बढ़ती जा रही थी और हम कहीं न कहीं असुरक्षित महसूस कर रहे थे. घर के लोग भी किसी के यहाँ जाते तो एलसीडी की कहानियां लेकर लौटते। मुझे लगा था की पिछले ८ सालों से साथ निभा रहा टीवी अभी कुछ और साल हमारे खर्चे को काम रख पायेगा लेकिन विज्ञापनों ने ऐसा होने न दिया. एलसीडी, प्लाज्मा, लेड और न जाने क्या क्या ने उत्सुकता बनाये रखी और अच्छी टीवी खरीदने का मेरा रिसर्च प्रारम्भ हुआ.


एक बात जो मैं आपको तुरंत कह सकता हूँ वो है: विज्ञापन सिर्फ वही बताएँगे जो उन्हें बताना है, आपको क्या चाहिए ये आपको पता करना पड़ेगा। अतः थोड़ा धीरज रखें, खोजबीन करें, गूगल की शरण में जाएँ। किसी दोस्त से बात करें जिसे इस बात की जानकारी हो या जो इस क्षेत्र में कार्यरत हो. थोड़ा सा प्रयास आपके निर्णय को और बेहतर कर सकता है. चलिए आपकी राह मैं थोड़ी सरल कर देता हूँ.

लगभग चार महीनों के सतत विश्लेषण के बाद मैंने पाया की अगर हम सिर्फ तीन बातों का ख्याल रखें टीवी खरीदारी को बेहतर बनाया जा सकता है:

विज्ञापनों में प्रकाशित आंकड़े और फैंसी शब्दावली का टीवी के पिक्चर क्वालिटी से सम्बन्ध नहीं होता: टीवी के सम्बन्ध में छपे आंकड़े आपको आकर्षित एवं भ्रमित करने के लिए ज़्यादा होती है इनसे आपका कोई हित नहीं सधता। मसलन रिफ्रेश रेट (120Hz, 240Hz, 600Hz इत्यादि ) से आपको कोई फायदा या नुकसान नहीं होता। 60Hz से अधिक कुछ भी अच्छा है. कंट्रास्ट रेश्यो का ज़िक्र है भी तो आम उपभोक्ता का इससे कोई सरोकार नहीं। अगर सेल्समैन आपको कुछ अत्यंत भयंकर शब्द जैसे : "ट्रू मोशन ", "क्लियर मोशन रेट", "मोशन फ्लो रेट ", "एस पी एस " के बारे में बता रहा है तो समझिए उसे अपना माल बेचने की जल्दी है. यह सभी जाली टर्म हैं और इनका कोई फायदा आपको कभी नहीं मिलेगा। व्यू एंगल की बात सेल्समैन जरूर करेगा। आपको बताया जायेगा के १७८ डिग्री सबसे समुन्नत टीवी का व्यू एंगल होता है. cnet.com सरीखे दुनिया के नामी तकनीकी समीक्षक वेबसाइट बताते हैं की यह एक फ़र्ज़ी आकंड़ा है. एक और बात लेड टीवी आपको सबसे अच्छा पिक्चर क्वालिटी देगा यह भी झूठ है. जी हाँ! मेरी सलाह यह होगी के आप खुद दो से ज़्यादा ब्रांड्स के टीवी को देखें और इत्मेनान से जांच परख कर अपने प्राथमिकताओं के आधार पर अपना टीवी खरीदें। 

बड़ा टीवी वाकई बेहतर होता है: यह बहुत कुछ आपके लिविंग रूम, जहां आप टीवी रखने वाले हैं उसके आकार पर भी निर्भर करता है. एक बात याद रखें ३२ इंचेस से कम कुछ भी ना लें. महत्वपूर्ण बात यह की आपका टीवी अगर ५० इंच का है तो सबसे अच्छी पिक्चर क्वालिटी आपको ६ से ८ फ़ीट की दूरी के बीच मिलेगी। इस दूरी पे आपको HD का पूरा आनंद मिलेगा, अगर आपको इससे कम दूरी से देखना है तो ४० या उससे भी काम ३२ इंच का टीवी लें. सेल्स मैन चाहे कुछ भी बखान करे स्मार्ट और 3D टीवी से दूर रहें। इसका आपको कभी फायदा नहीं मिल पायेगा। आप चाहें तो उनसे पूछें जिन्होंने 3D टीवी खरीदा हुआ है. एक बात और, सिर्फ दो हज़ार बाद में खर्च करके आप किसी भी अच्छे टीवी को स्मार्ट बना सकते हैं. यह सुनिश्चित करें के टीवी फुल HD है HD रेडी नहीं। HD रेडी एक भुलावा है और इस पुराने तकनीक को सस्ते में आपको चिपकाने का पूरा प्रयास होगा। आपका टीवी फुल LED होना चाहिए सिर्फ एलसीडी नहीं और उसमे १०८० पीक्सेल्स होंने चाहिए न की ७२० पीक्सेल्स। HDMI केबल के लिए कितने सॉकेट हैं, USB के लिए कितनी जगह है. स्पीकर कितना आरएमएस (RMS) साउंड प्रोडूस करेगा यह भी पूछें। याद रखें स्पीकर की क्वालिटी PMPO से मापना उतना ही भ्रामक है जितना कैमरे की गुणवत्ता मेगापिक्सेल से मापना।  एक  २० आरएमएस से ज़्यादा कुछ भी अच्छा है. वैसे भी चाहे आप जितनी मर्ज़ी महँगी टीवी ले लें उसकी साउंड क्वालिटी से आप कभी संतुष्ट नहीं होंगे। ऐसा सभी टीवी निर्माता जान बूझ कर करते हैं ताकि आप उनके स्पीकर सिस्टम्स खरीद सकें। 

अल्ट्रा डेफिनिशन (4k टीवी ) ही टीवी का भविष्य है लेकिन अभी नहीं: अल्ट्रा डेफिनिशन (4k टीवी ) से अभी दूरी बना कर रखा जा सकता है, क्यूंकि इसका कंटेंट अभी भी पूरी तरह उपलब्ध नहीं है. आपको जिस वीडियो की पिक्चर क्वालिटी सेल्समेन दिखा रहा है बस उसे ही आपको देखना पड़ेगा। अभी न फ़िल्में, न सीरियल और न खेल कुछ भी पूरी तरह 4K की गुणवत्ता से शूट नहीं होता। और यह सिर्फ भारत की नहीं पूरी दुनिया की कहानी है. दूसरी अहम बात की अल्ट्रा डेफिनिशन (4k टीवी ) बनाने का खर्च बहुत ही काम होता है लेकिन नयी तकनीक का जामा पहनाकर इसकी कीमतें बढ़ा कर रखीं गयीं हैं. जल्दी ही सारे टीवी अल्ट्रा डेफिनिशन (4k टीवी ) होने वालें हैं और इनकी कीमतें मुँह के बल गिरने वालीं हैं. इस तकनीक को अभी लेने का कोई मतलब नहीं है. और HD तकनीक जो अभी लोकप्रिय है अभी कुछ सालों तक कहीं नहीं जाने वाला।

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