रविवार, 6 नवंबर 2016

पिछले दसक के सबसे लोकप्रिय मोबाइल फोन्स

केविन केली अपनी पुस्तक "व्हाट टेक्नोलॉजी वांट्स" में कहते हैं की तकनीक का निरंतर विकास एक अवसम्भावी घटना है, इसके प्रवाह को रोकना सम्भव नहीं। उन्होंने तकनीक को मनुष्य का मालिक और ग़ुलाम दोनों बताया है. मालिक इसलिए की हम अब तक तकनीक को अपने बस में रख पा रहे हैं. चाहे वह कार हो या कंप्यूटर, टीवी हो या अंतरिक्ष यान सब हमारे इशारों पे नाचते है. और दूसरी तरफ, हम तकनीक पर इतने आश्रित हो गए हैं के उनके बिना हमारा बच पाना सम्भव नहीं। तकनीक से उनका तात्पर्य सिर्फ मशीन या औजार नहीं है बल्कि वह सारी चीज़ें हैं जो हमें धरती के अन्य प्राणियों से अलग बनाती है. इसके दायरे में हमारी भाषा और हमारी सोच एवम खाना पकाना भी सम्मिलित हैं. 

गौरतलब है की इस तकनीक के महाप्रवाह में सारी तकनीकें हमारे लिए अपरिहार्य होंगी, ऐसा नहीं है। मोटे तौर पे तकनीक की उपयोगिता को हम दो भागों में बाँट सकते हैं- पहला अपरिहार्य तकनीकें जिनको हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। इनकी उपयोगिता को झुठलाना सम्भव नहीं। और दूसरी तरफ, ऐसी तकनीकें जो प्रत्यक्ष रूप से उतनी प्रासंगिक नहीं हो पाती पर अपरिहार्य तकनीकों को सामने आने तक अपनी भूमिका निभातीं हैं. पेजर डिवाइसेस जिन्होंने मोबाइल फ़ोन्स की तकनीक को अपरिहार्य बनाने में अपनी भूमिका निभाई CD और DVD ने पोर्टेबल डिवाइसेस (OTG, पेन ड्राइव इत्यादि) को लोकप्रिय बनाने में मदद की। ठीक वैसे ही जैसे किसी चीज़ की खूबी आपको तब पता लगती है जब उसकी खामियों से आप रूबरू हों. 

पिछले लगभग दो दशकों में मोबाइल फोन्स ने हमारे जीने का अंदाज़ बदल दिया है और अपरिहार्य तकनीक का एक श्रेष्ठ उदहारण है. भारतीय परिपेक्ष्य में अगर हम इसको देखें तो १९९० के अर्थव्यवस्था के निजीकरण के साथ ही मोबाइल तकनीक के विकास की कहानी शुरू होती है. भारत का पहला मोबाइल कॉल १९९५ में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बासु ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री सुखराम को किया था। आज लगभग २१ वर्ष बाद भारत अपने १०० करोड़ से ज़्यादा मोबाइल कनेक्शन्स के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है.

आज मोबाइल डिवाइस की तकनीक, उनका स्वरुप, सब कुछ बदल चुका है क्योंकि कालांतर में हमारी प्राथमिकताएं बदलीं हैं. भारत मोबाइल संयत्रों की बिक्री का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. ऐसी आपाधापी में आईये जानते है बीते बीस सालों के कुछ ऐसे मोबाइल फ़ोन मॉडल्स के बारे में जिन्होंने प्रसिद्धि के नए कीर्तिमान स्थापित किये:

नोकिया एंगेज

७ अक्टूबर २००३ को नोकिया ने एक लीक से हटकर हैंडसेट मॉडल प्रस्तुत किया। मोबाइल को पहली बार गेम्स से जोड़ने का प्रयास हुआ और लोगों ने विशेष  रूप से युवाओं में काफी लोकप्रिय हुआ. कुछ लोगों को इसका बड़ा अकार और अपारंपरिक डिजाईन ज़्यादा पसंद नहीं आया और टैको (मेक्सिकन फ़ास्ट फ़ूड ) के मिलते अकार ने इसे 'टैको फ़ोन ' भी कहा गया. अगस्त २००७ तक नोकिया ने दुनियाभर के बाज़ारों में लगभग २० लाख फ़ोन बेच दिए. इसके बाद के मॉडल्स में ५० तक मोबाइल गेम्स इनबिल्ट थे.

नोकिया एंगेज

एचटीसी ड्रीम

सितंबर २००८ में एचटीसी ड्रीम मॉडल बाजार में उतारा। पहली बार किसी मोबाइल को लिनक्स बेस्ड एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम्स पर बनाया गया था. इसका डिजाईन भी समकालीन फ़ोन्स से अलग था. हालाँकि यह एक परफेक्ट फ़ोन नहीं था लेकिन एंड्राइड को स्थापित करने और दुनिया को एक नए ऑपरेटिंग सिस्टम्स से परिचय कराने में इसका अहम् रोल था. अप्रैल २००९ तक दस लाख एचटीसी ड्रीम बिक चुके थे.

एचटीसी ड्रीम
नोकिया N ७०

सितबर २००५ में नोकिया ने अपने न सीरीज का सबसे समुन्नत मॉडल बाजार में उतारा। सिम्बियन वि ८.१ ऑपरेटिंग सिस्टम पर बना N ७० कई मायने में एक उत्कृष्ट फ़ोन था. दो कैमरों के साथ सुसज्जित  इस फ़ोन ने विडियो कॉल जन जन तक पंहुचाया। डेडिकेटेड म्यूजिक बटन्स, ब्लूटूथ, १९. ९ एम् बी की इंटरनल मेमोरी ने इसे अपने ज़माने का सुपर फ़ोन बना दिया.

नोकिया N ७०
एप्पल आई फ़ोन

२९ जून, २००७ को आई फ़ोन ने अपना पहला फ़ोन इंट्रोड्यूस किया। जी पी आर एस और EDGE जैसी तकनीक से लैस एप्पल के इस फ़ोन ने मोबाइल के एक नए युग का सूत्रपात किया। पहली बार दुनियाभर में हज़ारों लोगों ने घंटों कतार में खड़े होकर एप्पल स्टोर्स और उसकी लोकप्रियता के नए आयाम स्थापित किये। महज ७४ दिनों में दस लाख एप्पल आई फ़ोन बिक चुके थे.

एप्पल आई फ़ोन

नोकिया ६६००

१६ जून २००३ को नोकिया ने इस स्मार्ट फ़ोन मॉडल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतारा और इसकी कीमत रखी यूरो ६००. सिक्स क्लासिक बिज़नस सीरीज का यह मॉडल नोकिया का सबसे एडवांस प्रोडक्ट था जिसे भविष्य की जरूरतों को धन में रख  बनाया गया था. सिम्बिओन ७ ऑपरेटिंग सिस्टम, VGA कैमरा, म्यूजिक प्लेयर, ब्लूटूथ और एक्सटेंडबल मेमोरी के साथ यह एक नायाब मॉडल था. आपको जानकर हैरानी हो के आज इस फ़ोन ने लांच के लगभग १३ वर्ष बाद भी दुनिया के कई देशों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. हालाँकि २००७ में ही नोकिया ने इसे बनाना बंद कर दिया था. कहना न होगा की यह एक अत्यंत लोकप्रिय ट्रेंड सेटर फ़ोन था.


मोटो रेजर

२००४ की तीसरी तिमाही में मोटोरोला ने अमेरिकन बाज़ार में लांच किया। इसकी पतली फैशनेबुल डिजाईन ने जल्दी इसे दुनिया भर का चहेता फ़ोन बना दिया।  अपने लांच के महज दो साल (२००६) में इसके ५ करोड़ पीस बिक चुके थे. चार साल पूरे होने से पहले मोटो रेजर V3 ने १३ करोड़ का आंकड़ा छू लिया था और उस समय तक सबसे ज़्यादा बिकने वाला मोबाइल फ़ोन बन चुका था.


मोटो रेजर

ब्लैकबेरी पर्ल ८१००

रिसर्च एंड मोशन जो मोटोरेला की पैतृक कंपनी है,उन्होंने पर्ल शृंखला के फ़ोन को अमेरिका के बाज़ारों में, सितबर २००६ में लांच किया।  विशेषरूप से बिज़नस यूज़र्स को ध्यान में रखकर बनाया गया यह फ़ोन उन सभी खूबियों से लैस था जिसे उस समय के हिसाब से अत्याधुनिक माने जाये। पुश इमेल्स, इंस्टेंट मेस्सजिंग, वाई फाई और अत्यंत त्वरित डाटा ट्रांसफर (७० सेकण्ड्स में १ GB फाइल जो मोटो रेजर, आई फ़ोन और उस समय के तमाम फ़ोन्स से बहुत अधिक था) जैसी खूबियों ने इसने दुनिया भर के लोगों का दिल जीता। इसकी सफलता के बाद ही ब्लैकबेरी ने दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बनायीं।

ब्लैकबेरी पर्ल ८१००

नोकिया ११००

२००३ में नोकिया ने इस बेसिक फ़ोन को दुनिया भर के बाज़ारों में उतारा। यकीन मानिये, बाकी के हाई एन्ड फ़ोन्स की लोकप्रियता को धता बताते हुए इसके दुनिया भर में २५ करोड़ से ज्यादा पीस बीके। हालाँकि नोकिया अब इससे नहीं बनाती लेकिन इसने लोकप्रियता के नए कीर्तिमान स्थापित किये इसमें कोई दो राय नहीं।

नोकिया ११००

नोकिया ३३१०

१ सितंबर २००० में नोकिया ने इसको दुनिया भर के बाज़ारों में रिलीज़ किया और इसके कुछ १३ करोड़ ज़्यादा पीस कुछ ही सालों में बेचकर इसको सबसे ज़्यादा लोकप्रिय फ़ोन्स की सूची में शामिल कर दिया। लेकिन इस मॉडल की प्रसिद्धि का दूसरा कारण था इसका अत्यंत टिकाऊ होना। वास्तव में इसने टिकाऊपन के कई दुर्लभ टेस्ट पास किये जो नोकिया से ज़्यादा इसके उपभोक्ताओं ने किये उनका वीडियोस बनाये और यू ट्यूब पे उपलोड किये। इसे फ़िनलैंड (नोकिया का अपना देश) के सबसे उत्कृष्ट तीन राष्ट्रीय इमोजी में से एक बनाया गया और आधिकारिक रूप से 'अनब्रेकबल' का ख़िताब मिला.


आपके पास भी किसी ऐसे फ़ोन की जानकारी हो जरूर साझा करें।

शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

मोबाइल तकनीक : बढ़ता दायरा

मोबाइल तकनीक : बढ़ता दायरा 
पिछले दो दसकों में तकनीकी की विकास की धारा पर गौर करें तो मोबाइल फ़ोन सबसे असरदार और सबसे प्रभावशाली तकनीक बन कर उभरी है. TDMA तकनीक से शुरू हुआ यह दौर CDMA से GSM (2G और 3G) और अब VO-LTE (4G) तक पहुँच गया है.  फ़ोन या दूरध्वनी यन्त्र से हमारा तात्पर्य था एक ऐसी मशीन जो दो दूर बैठे इंसानों को एक दूसरे की आवाज सुनने में मदद करे. शुरुआत में हुआ भी यही लेकिन कालांतर में इस छोटी मशीन ने एक अत्यंत बहुआयामी भेष धारण कर लिया है जिसमे दूरध्वनी एक वैकल्पिक सुविधा भर है.  यहाँ तक की आज के मोबाइल फ़ोन्स को सही मायने फ़ोन कहना भी सही नहीं ये कुछ और ही हैं. 

4G (LTE /VOLTE) तकनीक के आने से पहले तक दूरध्वनी तकनीक की प्रासंगिकता थी क्योंकि फ़ोन कॉल करने के लिए आपको वौइस् से वौइस् तकनीक की आवश्यकता थी, कॉल रेट्स (चाहे वह इनकमिंग हो आउटगोइंग) पर टेलीफोन कंपनियों  की दुकान चला करती थी. लेकिन 4G (LTE /VOLTE) ने इसको धता बताना शुरू कर दिया है, अब  VOLTE तकनीक से वौइस् से वौइस् कॉल्स को बड़ी आसानी से डाटा (इन्टरनेट) कॉल्स में बदला जा रहा है, ठीक उसी तरह जैसे हम स्काइप, व्हाट्स ऐप्प या इस तरह की अन्य तकनीक का इस्तेमाल कर रहे थे एक दूसरे से बात करने के लिए. यानि अब अगर आपके फ़ोन में इन्टरनेट की सुविधा है और अगर वह 4G (LTE /VOLTE) सपोर्ट करता है तो आपके कॉल्स मुफ्त में लगा करेंगे चाहे आप व्हाट्स ऐप्प से कॉल करें, स्काइप से या फिर रिलायंस जिओ से. रिलायंस जिओ के साथ फायदा यह होगा की सामने वाले (जिसे आप कॉल कर रहे हैं) के पास 4G या इन्टरनेट होना अनिवार्य नहीं है.

एक बात साफ़ है, हमारे मोबाइल फ़ोन्स बड़ी रफ़्तार से अपना चोला बदल रहे हैं. सुखद बात यह है की एक-एक करके इसके इस्तेमाल करने की तमाम बाधाएं भी दूर हो रहीं हैं. अब घडी की सूई के सहारे मोबाइल कॉल्स करने का ज़माना लद रहा है. फेसबुक और एप्पल जैसी कंपनियां इन्टरनेट पर आधारित तकनीक को और विकसित करने में बड़ी तेजी से काम कर रहे हैं. समय आ गया है जब हम अपनी आवश्यक आवश्यकताओं से रोटी, कपडा और मकान को हटा कर रोटी, कपडा और इन्टरनेट कर दें.    

आप क्या कहते हैं?