मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

फेसबुक: लेजेंड के 9 साल

हम कभी-कभी खुद ही इतिहास बनता हुआ देखते हैं लेकिन उसकी अहमियत का एह्सास हमें तब होता है जब सचमुच वह इतिहास के पन्नों के हवाले हो जता है। अब इसका कारण कुछ भी हो सकता है एक तो ये के शायद भगवान् ने हमें ऐसा ही बनाया है या फिर हमारा आधुनिक व्यस्त जीवन जो हमें कुछ सोचने का वक़्त ही नहीं देता।

देखते ही देखते फेसबुक दुनिया का सबसे बड़ा सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट गत सोमवार 9 साल का हो गया। बॉलीवुड फिल्मों की तरह कॉलेज के रोमांस से शुरू ये सफ़र आज 100 करोड़ से ऊपर लोगों को एक ही बंधन में बांधे हुए है। विश्व इतिहास में यह अपने किस्म का पहला मामला है जहाँ इतने लोगों को इतनी जल्दी किसी एक प्लेटफार्म पे लाया गया, एक दूसरे से जोड़ा गया। 9 साल पहले यह कोरी कल्पना से ज्यादा कुछ नहीं था। 



4 फ़रवरी 2004 का दिन इतिहास में इसलिए महत्वपूर्ण हो जाएगा क्योकि इसी दिन हार्वर्ड विश्वविद्यालय के दूसरे वर्ष के विद्यार्थी मार्क ज़ुकेर्बेर्ग ने फेसबुक वेबसाइट शुरू किया। वैसे इसका शुरूआती नाम thefacebook.com था जिसे बाद में बदलकर facebook.com कर दिया। सितम्बर 2006 में इस वेबसाइट का विस्तार प्रारंभ हुआ जहाँ  13 साल से अधिक के उम्र के लोग इससे जुड़ सकते थे।


फेसबुक लाइक जैसी सुविधाएँ 2009 में शुरू की गयीं। 2011 को टाइम लाइन लांच हुआ जिसे जनवरी 2012 तक सब एकाउंट्स के अनिवार्य बना दिया गया। 2012 में ही फेसबुक ने अपना आईपीओ भी लांच किया जिसका अधिकतम मार्किट कैपिटलाइजेशन 104 बिलियन डॉलर तक पंहुच गया था। हालाँकि इसके बाद इसका करेक्शन हुआ और शेयर की कीमतें कम हुई। अभी हाल में ही ग्राफ सर्च को भी शामिल कर दिया गया है। जिससे यूजर अपने मन और रूचि के हिसाब से चीजें सर्च कर सकता है। अब यह भी जाना  सकता है के उसको जानने वाले लोग क्या कर रहें हैं उनकी दिलचस्पी क्या है।

फेसबुक की पंहुच अब सिर्फ कंप्यूटर तक ही नहीं बल्कि इसकी उपस्थिति मोबाइल और टेबलेट्स पर भी अपरिहार्य हो गयी है। मोबाइल फ़ोन, जहाँ ऑपरेटिंग सिस्टम्स की विभिन्नता है वहां अपनी पहचान बनाए रखना फेसबुक के लिए आसान नहीं होगा।  आज की बदलती तकनीक के ज़माने में किसी के लिए भी बाज़ार में देर तक टिके रहने का आसान तरीका है उपभोक्ताओं की नब्ज़ पकडे रहना तथा  नए अन्वेषण करते रहना। सूचनाओं के इस  महासमर में नीरसता का कोई स्थान नहीं और यह किसी भी बड़े योद्धा को पतन का रास्ता दिखा सकती है।  

पिछले नौ सालों में फेसबुक बिलकुल बदल चुका है  और अन्वेषणों की भरमार ने ही इसका नयापन बरकरार रखा है, इसे लोगों से जोड़े रखा है। आशा है बढती प्रतियोगिता के दौर में फेसबुक खरा उतरेगा और कामयाबी की नयी उचाइयां छुएगा। मार्क को इस सफल यात्रा के लिए बधाई!

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